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Wednesday, 28 December 2016

ईश्वर कृपा,गुरु कृपा व् निज कृपा क्या है?

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
परम् पूज्य पापाजी से किसी भक्त ने सवाल किया कि-

"ईश्वर कृपा,गुरु कृपा व् निज कृपा क्या है?

इस पर पूज्य पापाजी ने जो बताया वह प्रस्तुत है-

🌻"ईश्वर की सबसे बड़ी कृपा है कि वे सद्गुरु तक पहुँचा देते है।जब गुरु कृपा होती है तब ईश्वर भक्ति प्राप्त होती है।गुरु की शरणागत भक्त उसी प्रकार सर्वप्रिय होने लगता है जिस प्रकार टेढ़ा चन्द्रमा भी वन्दित होता है।हृदय में "बंदउ गुरु पद कंज"का भाव जाग्रत होकर गुरु के प्रति प्रेम नित्य बढ़ता जाता है।ईश्वर की दया व् कृपा से जब सद्गुरु मिल जाय तो स्वयम को पूर्ण रूप से उनमे समर्पित कर देना चाहिए।निज कृपा भी बड़ी कठिनाई से कायम करनी पड़ती है।सांसारिकता इसमें बार बार बाधा उत्पन्न करती है।इसको हासिल करने के लिए नित्य निरन्तर अपने सद्गुरु से प्रार्थना करते हुए उनसे मानसिक सम्पर्क बनाये रखना चाहिए।और फिर गुरुदेव द्वारा बताई गयी साधना एवम् अभ्यास की निरन्तरता से निज कृपा कायम रखकर मकाम हासिल किया जा सकता है।"
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमश)🌻🌻🌻🌻🌻🌻

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