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Thursday, 15 December 2016

परम् पूज्य पापाजी द्वारा आध्यात्मिक चर्चा

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
परम् पूज्य पापाजी बताते थे कि -"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज ने गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर सभी सत्संगी भाइयो ,माताओ बहनो को सम्बोधित करते हुए कहा कि-
🌻"अष्टादस पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम्।
परोपकाराय पुण्याय पापाय परपीडनम्।।"🌻
अर्थात अठारह पुराणों में श्री व्यास जी, जो कि सभी गुरुओ के गुरु अर्थात आदिगुरु है उन्होंने सार रूप में दो ही वचन बताये है कि परोपकार के समान कोई पुण्य नही है और दूसरो को दुःख देने के समान कोई पाप नही है।अठारह पुराणों का आधारस्तम्भ एवम् सम्पूर्ण आध्यात्मिकता की नीव व्यासजी के इन्ही दो वचनो पर रखी हुई है।अतः प्रत्येक का यह प्रयास होना चाहिए कि वह निस्वार्थ भाव से लोगो की सेवा करने का प्रयत्न करे एवम् मन वचन तथा कर्म से किसी को दुःख न पहुचाये।इनका पालन करने से आध्यात्मिकता स्वतः आने लगती है तथा समर्थ सद्गुरु की शरणागत भक्त जीवन के चरम लक्ष्य का अधिकारी हो जाता है।"
🌻*🌷पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻

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