














परम् पूज्य पापाजी ने सत्संग के दौरान बताया कि-
"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज ने अपने अमृत वचनो में माता पिता की महानता को व्यक्त करते हुए कहा ""माता पिता को किसी भी दशा में तथा कभी भी साधारण मनुष्य नही समझना चाहिए और उनकी ईश्वरीय रूप में सेवा करते रहना चाहिए।""
पूज्य गुरुदेव ने सबके प्रति कर्तव्यों को बताते हुए एक भजन भी कहा जो उन्हें अत्यधिक प्रिय था:
"घर का दिया जलाकर, मन्दिर में तुम जलाना।"
इसका अर्थ यह नही कि मनुष्य ईश्वर भक्ति न करे या दैनिक जीवन में जो पूजा अर्चना करता है वह न करे।वह ईश्वर भक्ति भी करे और साथ साथ अपने पारिवारिक उत्तरदायित्व को भलीभांति निभाए।इससे उसको अपने आध्यात्मिक जीवन में दुगना लाभ होगा और ईश्वर की रूचि के अनुकूल होने के कारण वह ईश्वर का प्रिय भक्त भी होगा।"

























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