














सभी सन्त एक दूसरे से connected होते है।इस सम्बन्ध में परम् पूज्य पापाजी के पास एक वकील साहब श्री राजेन्द्र प्रसाद जी आया करते थे।वैसे तो वे साईबाबा के शिष्य थे,पर पापाजी एवम् उनके गुरुदेव चच्चा जी महाराज में भी उनकी अपार श्रद्धा थी। उन्होंने अपना संस्मरण कुछ इस प्रकार सुनाया कि-
"मै शिरडी साईबाबा के दर्शन हेतु सपरिवार जाना चाहता था।मैंने परम् पूज्य पापाजी से कहा कि मुझे वहाँ कोई परेशानी न हो और अच्छीतरह से दर्शन हो जाये।उन्होंने कहा तुम निश्चिंत होकर जाओ।मै वहाँ पहुँचा,भीड़ बहुत होने के पश्चात मुझे लगा कि अब मै दर्शन नही कर पाऊंगा,भीड़ से मुझे घबराहट होती थी और साथ में छोटे बच्चे भी थे ,तभी एक पुलिस की वर्दी पहने एक आदमी मेरे पास आया और उसने कहा आप परेशान न हो,आपको दर्शन हो जायेंगे।आप लोग विश्वास नही करेंगे कि उसने बहुत अच्छी तरह हम लोगो को दर्शन कराये।जब हम लौटे तो हमने सोचा कि उन महाशय को धन्यवाद दे दे,लेकिन वें मुझे कही दिखाई ही नही दिए जबकि दर्शन हेतु जाते समय वे हम लोगो के आगे थे और जब लौट रहे थे तो वे पीछे पीछे चल रहे थे।फिर मैने वापस आकर पूज्य पापाजी से सारा वृतांत सुनाया तो वे मुस्करा कर इतना बोले कि तुम्हारे वहाँ जाने की खबर पहले ही पहुँच चुकी थी।अतः तुम्हे कोई परेशानी तो होनी ही नही थी।तब मुझे यह अहसास हुआ की सभी सन्त बाहर से अलग अलग होते हुए भी अंदर से एक ही है।"

















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