














परम् पूज्य पापाजी कहते थे कि "परम् पूज्य चच्चा जी महाराज सत्संग समाप्ति पर अपनी आध्यात्मिक साधना के अनुभव के आधार पर कुछ उपदेश एवम् अमूल्य वचनो को सबके समक्ष रखते थे।यह वे मूल मन्त्र है जिनमे उनकी आध्यात्मिक शक्तिया व्याप्त है तथा प्रत्येक साधक को उन अमूल्य वचनो को जीवन में उतारते हुए समय समय पर आत्मनिरीक्षण करते रहना है और यह देखना है कि पूज्य गुरुदेव के इन अमूल्य वचनो को वह किस सीमा तक आत्मसात कर पाया है।
समयाभाव के कारण जो लोग साधना नही कर पाते है उन्हें कुछ समय निकालकर प्रातः यह प्रार्थना अवश्य कर लेनी चाहिए कि 'हे ईश्वर! हमे इतनी शक्ति एवम् सामर्थ्य प्रदान करे कि हम निस्वार्थ भाव से सबकी ईश्वरीय रूप में सेवा करने में सक्षम हो।रात में सोते समय यह आत्मनिरीक्षण करना आवश्यक है कि प्रातः की गयी प्रार्थना को वह स्वयम में उतार पाने में कितना सफल हो पाया है और तदनुसार स्वयम में सुधार लाने का प्रयास करता रहे।
पूज्य गुरुदेव सबका भला करेंगे।"






























वचन 🌻
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