














परम पूज्य पापाजी यह कहा करते थे कि सद्गुरु की महिमा को शब्दों में नही बांधा जा सकता तभी सन्त कबीर दास जी ने कहा है कि-
"सब धरती कागद करू,लेखनी सब वनराय।
सात समुद्र की मसि करूँ,गुरु गुन लिख न जाय।"
फिर भी पापाजी द्वारा परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज की महिमा में कही गयी पंक्तियो की अंतिम चन्द पंक्तिया प्रस्तुत है-

गुरुदेव तुम्हारी जय होवे।
अब ऐसा दे दो ज्ञान प्रभो,
कुछ रह न जाये अभिमान प्रभो।
नित रहे तुम्हारा ध्यान प्रभो,
यह पथिक प्रेम प्रभुमय होवे।
गुरुदेव तुम्हारी जय होवे।
सदगुरु भगवान तुम्हारी जय होवे।
अर्थात हे गुरुदेव अब अपनी कृपा से ऐसा ज्ञान प्रदान कीजिये जिससे अभिमान आदि कोई भी दुर्गुण बाकी न रहे।सारा ध्यान गुरु चरणों में सिमट जाये।इस पथिक का सारा जीवन प्रभुमय हो जावे।
"अब प्रभु कृपा करहुँ एहि भांति।
सब तजि भजन करहुँ दिन राति।
हे गुरु भगवान आपकी जय हो जय हो जय हो।"

















No comments:
Post a Comment