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Wednesday, 7 December 2016

(भाग १/३) - "श्री गुरु पद रज महिमा"

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🌻***~ॐ~***  🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के अनन्य भक्त श्री रामस्वरूप खरे,जी ,जिनकी पूज्य गुरुदेव में अटूट निष्ठा एवम् समर्पण है,ने परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी की महिमा का वर्णन करते हुए अपने हृदय के भावपूर्ण उदगार के रूप में अनेक रचनाये की।उन्ही रचनाओ में "पूजा के फूल"नामक पुस्तक की भी रचना की।उस पुस्तक से "श्री गुरु पद रज महिमा" की पंक्तिया प्रस्तुत है--
🌻"श्री गुरु के पद-कंज युग भव वारिधि जलयान।
सुमिरि सुमिरि नरतरहि भव-होय तुरत कल्यान।।
जीवन नौका क्षत विक्षत आन पड़ी मंझधार।
पार करहु तो पार है केवल कृपा अधार।।
युगल चरण अरविन्द का जोजन करते ध्यान।
रिद्धि सिद्धि पीछे फिरे जाने सकल जहान।।
बाँह पकरि ममनाथ अब जाना कही न भूल।
दीन अकिंचन हीन मै तुम भव बारिधि कूल।।
🌻"अर्थात-श्री गुरुदेव के चरण कमल संसार रूपी सागर को पार कराने वाले जहाज है जिनके स्मरण मात्र से मनुष्य इस भव सागर को पार कर लेता है तथा उसका हर तरह से अति शीघ्र कल्याण भी हो जाता है।
🌻जीवन रूपी नाव क्षत विक्षत होकर मझधार में पड़ी हुई है,केवल गुरुदेव की कृपा का ही सहारा है,यदि वे पार लगाएंगे तभी पार होना सम्भव है।
🌻पूज्य गुरुदेव के चरण कमलो का जो लोग ध्यान करते है रिद्धि सिद्धि उनके पीछे पीछे फिरती है और सारे जहाँ में उनका नाम होता है।
🌻हे गुरुदेव ,हे मेरे नाथ,मैं आपकी शरण में हूँ ।आप मुझे भुला मत देना।दीन हीन मुझ दास की जीवन नैया आप ही पार लगा सकते है।अतः आपसे प्रार्थना है कि आप इस दास को भव सागर से पार लगा देना।
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(शेष पंक्तिया कल )🌻🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻

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