***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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६१/१२४ - किसी के गुप्त रहस्य को जो प्रकट नहीं करना चाहता उसको उचित तथा अनुचित उपाय से सुनने के लिए प्रयत्न करना तथा किसी के द्वारा उसके गुप्त रहस्य पता लगाने का उपाय करना पाप है ।
श्री भगवान् का स्वभाव है कि वे किसी के ऐब, दोष , पाप तथा गुप्त रहस्य को न देखते हैं न किसी के द्वारा सुनना ही चाहते हैं । इसलिए श्री भगवान् के भक्तों को भी ऐसी ही साधना करते रहना चाहिए ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
ॐ शांति शांति शांति।
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