***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
*- - - -*
८३/१२४ - मनुष्य जैसी संगती करता है , उसी के अनुसार परिणाम को प्राप्त होता है , जैसे की स्वाति की बूँद कदली में पड़ने से कपूर, सीप में पड़ने से मुक्ता और सांप के मुँह में पड़ने से विष हो जाती है । एक ही वस्त्र भिन्न - भिन्न प्रकार के स्वभाव वालों के संग में पड़कर तीन प्रकार के फलों को प्राप्त होती है । अतएव सदाचारी, ईश्वर-भक्त और संतों की संगत करके श्री भगवान् को प्राप्त लेना चाहिए ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
No comments:
Post a Comment