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Sunday, 23 October 2016

(भाग ८३/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"


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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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८३/१२४ - मनुष्य जैसी संगती करता है , उसी के अनुसार परिणाम को प्राप्त होता है , जैसे की स्वाति की बूँद कदली में पड़ने से कपूर, सीप में पड़ने से मुक्ता और सांप के मुँह में पड़ने से विष हो जाती है । एक ही वस्त्र भिन्न - भिन्न प्रकार के स्वभाव वालों के संग में पड़कर तीन प्रकार के फलों को प्राप्त होती है । अतएव सदाचारी, ईश्वर-भक्त और संतों की संगत करके श्री भगवान् को प्राप्त लेना चाहिए ।

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।🌻🌻🌻
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