***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
*- - - -*
६९/१२४ - मन को पवित्र, निर्मल रखने से दिव्या शक्तियों तथा गुडों का विकास होता है । अपवित्र मन मनुष्य को दुराचारी तथा कुपथगामी बनाता है । मन को पवित्र बनाने के लिए सत्य भाषण और अहिंसा मुख्य साधन हैं ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
ॐ शांति शांति शांति।
🌹🌹🌹🌹🌹 * *
No comments:
Post a Comment