***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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६३/१२४ - जब तक मनुष्य जिए तब तक उसे भवसागर से पर होने के लिए श्री भगवान् की प्राप्ति के हेतु किसी न किसी प्रकार का अभ्यास तथा साधन अवश्य करते रहना चाहिए, क्योंकि जीवन की प्रत्येक श्वांस अमूल्य है । जब देह भस्म तो पश्चाताप का भी अवसर नहीं मिलता ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
ॐ शांति शांति शांति।
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