***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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६८/१२४ - सदाचार और दुराचार का विचारों से घनिष्ठ सम्बन्ध है । विचारों की उत्पत्ति मन से है इसलिए सभ्य तथा सदाचारी बनने के लिए मन को श्री भगवान के चरणों में लगाकर अच्छे कार्यों की ओर प्रेरित करना चाहिए ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
ॐ शांति शांति शांति।
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