***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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६६/१२४ - निर्धनी होते हुए भी श्री भगवान् के भक्तों को अतिथि सत्कार में कोई बाधा नहीं पड़ सकती क्योंकि उनके पास आसान के लिए पवित्र भूमि , पाँव धोने तथा पीने के लिए स्वछ जल और गदगद तथा सत्य प्रिय वाणी द्वारा संतुष्ट करने का आभाव कभी नहीं रहता ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
ॐ शांति शांति शांति।
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