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Wednesday, 26 October 2016

(भाग ८६/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"


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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*


८६/१२४ स्वार्थी और कृतघ्नी मनुष्य उसी समय तक अपने सम्बन्ध तथा मित्रता का परिचय दे सकता है, जब तक मूल रूप से उसके स्वार्थ की सिद्धि और ब्याज रूप में उसे मान बढ़ाई और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती जावे । उसके अभाव में वह भयंकर शत्रु होकर मृत्यु से भी अधिक दुखदायी होता है । 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।🌻🌻🌻
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