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Monday, 31 October 2016

(भाग ९१/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"


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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*


९१/१२४ -  जो मनुष्य अपने सुख तथा स्वार्थ की पूर्ति के लिए कारण अथवा अकारणवश किसी भी प्राणी का दिल दुखाता है, उस दुखे हुए तथा पीड़ित दिल से उसके (दिल दुखने वाले) के सुख और स्वार्थ का जड़मूल से नाश हो जाता है और वह नरकगामी होकर अधोगति को प्राप्त होता है | इसलिए किसी भी दशा तथा किसी भी परिस्थिति में किसी भी प्राणी के दिल दुखने का कारण नहीं बनना चाहिए | 
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।🌻🌻🌻
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