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Tuesday, 1 August 2017

जब हम सद्गुरु की शरणागत होते है तब वे बहुत सावधानी से हमे सांसारिक आँधियो के थपेड़ो से बचाते हुए हमारे कल्याण में लगे रहते है

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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🌻"पूज्य पापाजी की वचनो की श्रृंखला की
🌻* छठी कड़ी * की प्रस्तुति –
🌻"जब हम सद्गुरु की शरणागत होते है तब वे बहुत सावधानी से हमे सांसारिक आँधियो के थपेड़ो से बचाते हुए हमारे कल्याण में लगे रहते है।किन्तु जहाँ हमारे मन का नही होता है वही हमारा विश्वास डगमगाने लगता है।
जबकि हमारे गुरुदेव हर पल हमे सुरक्षा कवच के दायरे में रखते है।हमने गुरु चरणों में अपनी श्रद्धा विश्वास एवम् निष्ठा का जो दीपक जलाया है उसे अविश्वास की आँधी से बचाते हुए अभ्यास और साधना की नियमितता एवम् निरन्तरता रूपी घी से प्रज्जवलित रखना है।
मन अत्यंत चंचल है वह प्रारम्भ में बहुत उत्पात मचाता है।किन्तु इस मन का एक गुण यह भी है कि वह जिसमे आनन्द लेने लगता है उसमे उच्चतम शिखर तक पहुँचा देता है।अतः हमे इसका रुख अध्यात्म की ओर मोड़ना है ततपश्चात अभ्यास की निरन्तरता एवम् गुरुदेव की कृपा से वह शीघ्र नियंत्रित हो जाता है।..........(क्रमशः)"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻

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