🌻"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज कहते थे कि-
🌻"साधना के मार्ग पर चलने वाले साधको के जीवन में अनेक उतार चढ़ाव आते है।यह स्थिति साधना से सम्बंधित भी हो सकती है तथा सांसारिक जीवन से सम्बंधित भी हो सकती है।ऐसी परिस्थिति में साधक को बड़े धैर्य के साथ अपने ऊपर नियंत्रण रखना है तथा गुरु के प्रति अपने विश्वास एवम् आस्था को डगमगाने नही देना चाहिए।गुरु कृपा से हर स्थिति बड़ी सहजता से पार हो जाती है।साधक को स्वयम का समय समय पर आत्म निरीक्षण करते रहना चाहिए।
सदाचार एवम् कर्तव्य पालन के मार्ग से विकट परिस्थितियों में भी विचलित नही होना चाहिए।
सम्पूर्ण जगत को ईश्वरमय देखने का प्रयास करते रहना चाहिए।निरन्तर प्रयास से साधक समदर्शी हो जाता है जिससे सारे दोष दूर हो जाते है।समदर्शी अर्थात सबको समान रूप से देखने वाले मात्र अपना या अपने कुल का ही नही अपितु समग्र जगत को लाभ पहुँचाता है।"
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