Like on FB

Wednesday, 30 August 2017

कर्म करते हुए अपने मन को इष्टदेव में लगाते रहना ही कर्मयोग है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह साधना बताई

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*🌷*🌷*🌷*🌻
🌻"परम् पूज्य पापाजी परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज की साधना के बारे में बताते हुए कहते थे कि–
🌻 "पूज्य गुरुदेव कर्मयोग की साधना पर विशेष महत्व देते थे।"कर्म करते हुए अपने मन को इष्टदेव में लगाते रहना ही कर्मयोग है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह साधना बताई।
गुरु द्वारा इस साधना का अभ्यास करते रहने से व् गुरु कृपा से मन नियंत्रित होने लगता है।मन बहिर्मुखी से अंतर्मुखी होने लगता है।
गुरु का इष्ट ही सर्वोत्तम इष्ट है।गुरु प्रकाश पुंज है।उनका ध्यान करने से आत्म प्रकाश जाग्रत होने लगता है तथा साधक अपने निज स्वरूप को पहचान कर उसी में स्थित रहने लगता है।🌻"
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻

No comments:

Post a Comment