















1 -- जिज्ञासु ,साधु सन्त तो पहचान में आ भी जाते है किन्तु सद्गुरु की पहचान ऐसी है कि वह परख में नही आते।
2 -- सद्गुरु की कोई वेशभूषा नही होती।वह जन साधारण की भांति रहते है।बाहर से ऐसा प्रतीत होता है कि मानो संसार में फंसे हुए है परन्तु वे कर्तव्य पालन इस तरह करते है जैसे कमल के पत्ते पर पानी का प्रभाव नही पड़ता।
3 -- सद्गुरु कोई चमत्कार नही दिखाते।संसार के मनुष्य यदि उनके सामने सांसारिक इच्छाये रखते है तो वह उनकी इच्छाओ को पूरा करने के बजाय उन इच्छाओ को अपने आत्मबल द्वारा जड़मूल से नष्ट कर देते है।"
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