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परम पूज्य पापाजी ने सत्संग के पश्चात आध्यात्मिक चर्चा के दौरान बताया कि-
"कभी कभी एक निश्चित स्थिति के बाद साधको की प्रगति रुकने लगती है।इसका कारण यह है की साधक का स्वयम का सहयोग नही रहता।कभी कभी जीवन में कुछ ऐसे पल आ जाते है जिनमे उलझकर हम ये भूल जाते है कि हम किस पथ पर चल रहे है यह ध्यान ही नही रहता।
ऐसी परिस्थिति में बड़े धैर्य एवम् लगन से स्वयम पर निगरानी रखते हुए साधना करनी है।
लोग सत्संग में जाते है। समय और पैसा भी खर्च करते है पर पूर्णरूपेण उसका लाभ नही उठाते।व्यर्थ की बातो में समय बर्बाद करते है तथा उतना लाभ नही उठा पाते जितना उठाना चाहिए।
पूज्य पापाजी ने आगे कहा कि पूज्य गुरुदेव की ओर से निरन्तर कृपा की धारा बह रही है यह हमारे ऊपर है कि हम उसे कितना ग्रहण कर पा रहे है।अतः हम सबको कृपा का अनुभव करने के लिए निरन्तर उनसे कनेक्शन जोड़े रखना है ।"
















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