🌻"पूज्य पापाजी की वचनो की श्रृंखला की
🌻* आठवी कड़ी *

की प्रस्तुति–
🌻"(कर्मबन्धन के तथ्य की स्पष्टता)
🌻"जैसे किसी ने अभी तक जो कर्ज लिया है वह तो उसे चुकाना ही पड़ेगा किन्तु आगे वह कर्जदार न हो इसके लिए उससे सम्बंधित हितैषी लोग उस व्यक्ति को समझाते है कि कर्ज लेना ठीक नही है।यह तो सांसारिक परिप्रेक्ष्य में हो गया।
आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाये तो वे समर्थ सद्गुरु ही होते है जो हमारे पिछले जन्मों के ऋणो को चुकता करके हमे आगे के लिए ऋणमुक्त करने के लिए प्रयत्नशील रहते है।इसलिए जीवन में गुरु का महत्वपूर्ण स्थान होता है।"
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