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Sunday, 6 August 2017

स्वार्थ त्याग में बहुत बड़े बल की बहुत बड़ी वीरता की आवश्यकता है।

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज ने अपने अमृत वचनो में कहा है कि-
🌻*"स्वार्थ त्याग में बहुत बड़े बल की बहुत बड़ी वीरता की आवश्यकता है। रुपया पैसा सच्चा धन नही है और न उससे कल्याण होता है।केवल धन पर भरोसा करना चिकनी भूमि पर खड़ा होना है।अपने ही स्वार्थ में सारा समय लगाना दुर्बलता है और मृत्यु का आवाहन करना है।निस्वार्थ सेवा करने से आंतरिक शक्ति की वृद्धि होती है और ईश्वरीय मार्ग में विशेष सहायता मिलती है।जिसके हृदय से जितना स्वार्थ निकलता जायेगा उतना ही वह नम्र होता जायेगा।*"🌻
पूज्य पापाजी परम् पूज्य गुरुदेव के मार्ग का अनुसरण करते हुए सभी को निस्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए कहा करते थे।पूज्य पापाजी ने परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के एक एक अमृत वचन को न केवल आत्मसात किया वरन उनको कैसे जीवन में उतारना है इसकी सबके समक्ष मिसाल कायम की।
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव से सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻

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