


















बहुत ही सरल मार्ग है स्वयम को पूर्ण रूपेण सद्गुरु में समर्पित करके निष्काम भाव से,ईर्ष्या द्वेष ,छलकपट छोड़कर सबकी ईश्वरीय रूप में सेवा एवम् कर्तव्य पालन करना है।
पूज्य गुरुदेव ने अध्यात्म के व्यवहारिक पक्ष पर विशेष बल दिया।इस व्यवहारिक अध्यात्म के पथ पर चलता हुये प्रत्येक साधक अपने जीवन लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
पूज्य गुरुदेव के प्रवचन एवम् उपदेश वह मूल मन्त्र जिन्हें प्रत्येक को अपने जीवन में उतारने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए जिससे न केवल एक आदर्श एवम् सुसंस्कृत समाज की स्थापना होगी बल्कि रामराज्य की जो परिकल्पना हमारे मन में है वह भी साकार होती दिखेगी।"



















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