🌻"बंदउ गुरु पद कंज कृपासिंधु नर रूप हरि।
महामोह तम पुंज जासु वचन रविकर निकर।।"
🌻 "मै उन गुरु महाराजके चरण कमल की वन्दना करता हूँ जो कृपा के समुद्र और नर रूप में श्री हरि ही है जिनके वचन महामोह रूपी घने अंधकार को नाशकरने के लिए सूर्य किरणों के समूह है।"
🌻"प्रनवउ पवन कुमार खल बन पावक ज्ञान घन।
जासु हृदय आगार बसहि राम सर चाप धर।।"
🌻"मै पवनकुमार श्री हनुमान जी को प्रणाम करता हूँ,जो दुष्ट रूपी वन को भस्म करने के लिए अग्नि रूप है,जो ज्ञान की घनमूर्ति है और जिनके हृदय रूपी भवन में धनुष बाण धारण किये श्री रामजी निवास करते है।"
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