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Sunday, 5 March 2017

"बंदउ गुरु पद कंज कृपासिंधु नर रूप हरि। महामोह तम पुंज जासु वचन रविकर निकर।।"

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🌻***~ॐ~****🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"सत पंच चौपाई"🌻 की अगली प्रस्तुति-

🌻"बंदउ गुरु पद कंज कृपासिंधु नर रूप हरि।
महामोह तम पुंज जासु वचन रविकर निकर।।"

🌻 "मै उन गुरु महाराजके चरण कमल की वन्दना करता हूँ जो कृपा के समुद्र और नर रूप में श्री हरि ही है जिनके वचन महामोह रूपी घने अंधकार को नाशकरने के लिए सूर्य किरणों के समूह है।"

🌻"प्रनवउ पवन कुमार खल बन पावक ज्ञान घन।
जासु हृदय आगार बसहि राम सर चाप धर।।"

🌻"मै पवनकुमार श्री हनुमान जी को प्रणाम करता हूँ,जो दुष्ट रूपी वन को भस्म करने के लिए अग्नि रूप है,जो ज्ञान की घनमूर्ति है और जिनके हृदय रूपी भवन में धनुष बाण धारण किये श्री रामजी निवास करते है।"
🌻"हे गुरु महाराज हम सब आपके चरण कमलो की वन्दना करते है।आप के दिव्य एवम् अमृत वचन हम सबके लिए अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करने वाले है।आपकी कृपा ही हम सबके दुर्गुण को दूर कर सकती है।आपसे यह प्रार्थना है कि आप अपनी कृपा बनाये रखते हुए हम सबके हृदय में उसी प्रकार निवास करे जिस प्रकार श्री हनुमानजी के हृदय में श्री रामचंद्रजी निवास करते हैं।
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻🌻

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