

















हित परलोक लोक पितु माता।
नहि कलि करम न भगति बिबेकू,
राम नाम अवलम्बन एकू।




तेरा क्या जायेगा।
क्यूँ व्यर्थ समय खोता,
पीछे पछताएगा।
यह मूल मन्त्र है जो ,
तू भूल गया प्राणी ।
स्वच्छन्द प्रभु से ही ,
करता है मनमानी।
जो बीत समय जाये ,
फिर हाथ न आएगा।
मन राम.......
जैसे भी बने जितना ,
तू ध्यान उसी में कर।
है सभी यही रहना
कुछ संग को भी तो कर।
इक सही रामधन है
जो साथ निभाएगा।
मन राम......
भव सिंधु अगाध भरा,
उसमे दुःख पायेगा।
यदि जमा राम धन है,
नौका बन आएगा।
तू राम नाम में ही,
सच्चा सुख पायेगा
तू गुरु ध्यान में ही ,सच्चा सुख पायेगा।
मन राम नाम....

















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