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Wednesday, 29 March 2017

तबहुँ कृपाल हेरि निज ओरा, सबहि भांति भल मानेउ मोरा।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~****🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"सत पंच चौपाई"🌻के अयोध्याकाण्ड की अगली कड़ी प्रस्तुत है–

🌻"तबहुँ कृपाल हेरि निज ओरा,
सबहि भांति भल मानेउ मोरा।
अबिनय बिनय जथारुचि बानी,
छमहि देउ अति आरति जानी।।

🌻"(भरतजी कहते है कि प्रभु श्री राम की मै शोक से या स्नेह से या बाल स्वभाव से आज्ञा न मानकर चला आया)तो भी कृपालु स्वामी (आप)ने अपनी ओर देखकर सभी प्रकार से मेरा भला ही माना(मेरे अनुचित कार्य को अच्छा ही समझा)।
हे नाथ! मैंने अविनय या विनय भरी जैसी रूचि हुई वैसी ही वाणी कहकर सर्वथा ढिठाई की है। हे देव! मेरे आर्तभाव को जानकर आप क्षमा करेंगे।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻🌻

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