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Wednesday, 22 March 2017

आन उपाउ मोहि नहि सूझा, को जिय कै रघुबर बिनु बूझा।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~****🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"सत पंच चौपाई"🌻 के अयोध्याकाण्ड की अगली कड़ी–

🌻"आन उपाउ मोहि नहि सूझा,
को जिय कै रघुबर बिनु बूझा।
राम सदा सेवक रूचि राखी,
बेद पुरान साधु सुर साखी।।

🌻"(भरत जी रामजी के वनवास जाने पर अत्यंत दुखी है और उनके दर्शनों के लिए व्याकुल है,सबके सामने अत्यंत दीनता से कहते है)मुझे दूसरा कोई उपाय नही सूझता।श्री रामजी के बिना मेरे हृदय की बात कौन जान सकता है?
(भरत जी का श्री रामजी के प्रति प्रेम देखकर देवराज इंद्र देवगुरु ब्रहस्पति जी से कुछ उपाय करने को कहते है तब देवगुरु उन्हें समझाते हुए कहते है)
श्री रामजी सदा अपने सेवको की रूचि रखते आये है।वेद ,पुराण,साधु और देवता इसके साक्षी है।(ऐसा हृदय में जानकर कुटिलता छोड़ दो और भरत जी के चरणों में प्रेम करो।)"🌻
🌻"परम् पूज्य पापाजी परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के बारे में बताते हुए कहते थे कि "गुरुदेव सदा अपने भक्तो की रूचि रखते है एवम् हर तरह से उनका कल्याण करते है।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻

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