🌻"सत पंच चौपाई"
🌻 के अयोध्याकाण्ड की अगली प्रस्तुति–
🌻"मोरे सरन रामहि की पनही,
राम सुस्वामी दोसु सब जनही।
जासु नाम पावक अघ तूला,
सुमिरत सकल सुमंगल मूला।।
🌻"(भरत जी को अपने प्रभु श्री रामजी पर पूरा विश्वास है कि वे मुझे अपना सेवक जानकर क्षमा कर देंगे,आगे कहते है कि )मेंरे तो श्री रामचन्द्रजी की जूतियां ही शरण है।श्री रामचन्द्र जी तो अच्छे स्वामी है,दोष तो सब दास का ही है।
(श्री रामजी जी के बारे में कहा है)जिनका नाम पाप रूपी रुई के (तुरन्त जला डालने के)लिए अग्नि है!और जिनका स्मरणमात्र समस्त शुभ मंगलो का मूल है।"
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