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Saturday, 25 March 2017

अब करुनाकर कीजिअ सोई, जन हित प्रभु चित छोभु न होइ।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~****🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"सत पंच चौपाई"🌻 के अयोध्याकांड की अगली प्रस्तुति–

🌻"अब करुनाकर कीजिअ सोई,
जन हित प्रभु चित छोभु न होइ।
सील सकोच सिंधु रघुराऊ,
सुमुख सुलोचन सरल सुभाऊ।

🌻"(भरत जी पुनः कहते है)हे दया की खान!अब वही कीजिये जिससे दास के लिए प्रभु के चित्त में कोई क्षोभ(किसी प्रकार का विचार)न हो।
(श्री राम जी के स्वभाव का वर्णन है)श्री रामजी शील और संकोच के समुद्र है।वे सुंदर मुख के(या सबके अनुकूल रहने वाले),सुंदर नेत्र वाले(या सबको कृपा और प्रेम की दृष्टि से देखने वाले)और सरल स्वभाव वाले है।"🌻
🌻"परम् पूज्य गुरुदेव को ,जो सबके अनुकूल रहने वाले,सब पर कृपा और प्रेम बरसाने वाले है ,उनके चरण कमलो में हम सबका कोटि कोटि वन्दन।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻

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