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Friday, 31 March 2017

निज कृत कर्म जनित फल पायउँ, अब प्रभु पाहि सरन तकि आयउँ।

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🌻***~ॐ~****🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"सत पंच चौपाई"🌻के अरण्यकाण्ड की प्रथम कड़ी प्रस्तुत है–

🌻"निज कृत कर्म जनित फल पायउँ,
अब प्रभु पाहि सरन तकि आयउँ।
नाथ सकल साधन मै हीना,
कीन्ही कृपा जानि जन दीना।

🌻"(श्री रामचन्द्र जी और श्री सीताजी स्फटिक शिला पर बैठे थे।तभी देवराज इंद्र के पुत्र जयंत कौए का रूप रखकर भगवान के बल की परीक्षा हेतु सीताजी के चरणों में चोंच मारकर भागा।तब रघुनाथ जी ने धनुष पर सींक(सरकण्डे)का बाण सन्धान किया।वह भागते हुए ब्रह्मलोक शिवलोक एवम् सभी लोको में भय और शोक से व्याकुल भागता रहा।फिर नारदजी के समझाने पर वह श्री रामजी की शरण में गया।उनसे प्रार्थना की कि शरणागत के हितकारी,दयालु रघुनाथ जी रक्षा कीजिये।उस जयंत रूपी कौवे ने कहा)
🌻"अपने किये हुए कर्म से उत्पन्न हुआ फल मैंने पा लिया।अब हे प्रभु!मेरी रक्षा कीजिये।मै आपकी शरण तककर आया हूँ।
(श्री रामचन्द्र जी शरभंग ऋषि से मिलते है उनके दर्शन पाकर ऋषि कहते है)
🌻!हे नाथ!मै सब साधनो से हीन हूँ।आपने अपना दीन सेवक जानकर मुझ पर कृपा की है।" 
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🌻"परम् पूज्य पापाजी की प्रिय चौपाइयों में से एक है–
"नाथ सकल साधन मै हीना,
कीन्ही कृपा जानि जन दीना।

इस चौपाई के बारे में बताते हुए वे कहते थे कि"अपने गुरुदेव के समक्ष यह भाव होना चाहिए कि न मेरे अंदर भक्ति है,न शक्ति है,तमाम अवगुण भरे पड़े है अर्थात मै सभी साधनो से विहीन हूँ फिर भी आपने(गुरुदेव)मुझे दीन हीन जानकर मुझ पर कृपा की जो मुझे आपकी शरण मिली।अब मुझे विश्वास है कि आप हर तरह से मेरा कल्याण करेंगे।" 
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🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻

Thursday, 30 March 2017

प्रभु पद पदुम् पराग दोहाई, सत्य सुकृत सुख सीव सुहाई।

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🌻***~ॐ~****🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"सत पंच चौपाई"🌻 के अयोध्याकाण्ड की अंतिम कड़ी प्रस्तुत है–

🌻"प्रभु पद पदुम् पराग दोहाई,
सत्य सुकृत सुख सीव सुहाई।
सो करि कहऊँ हिये अपने की,
रूचि जागत सोवत अपने की।
अग्या सम न सुसाहिब सेवा,
सो प्रसादु जन पावै देवा।।

🌻"(भरत जी कहते है)प्रभु के चरण कमलो की रज,जो सत्य,सुकृत(पुण्य)और सुख की सुहावनी सीमा(अवधि)है,उसकी दुहार्इ करके मै अपने हृदय की जागते,सोते और स्वप्न में भी बनी रहने वाली रूचि (इच्छा)कहता हूँ।(वह रूचि है–कपट ,स्वार्थ और(अर्थ–धर्म–काम–मोक्षरूप)चारो फलो को छोड़कर स्वाभाविक प्रेम से स्वामी की सेवा करना)और आज्ञा पालन के समान श्रेष्ठ स्वामी की और कोई सेवा नही है।हे देव ! अब वही आज्ञा रूप प्रसाद सेवक को मिल जाये।"🌻
🌻"परम् पूज्य पापाजी कहा करते थे कि प्रत्येक साधक को निष्काम भाव से अपने गुरुदेव की सेवा करने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻