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Thursday, 31 August 2017

ज्ञानमय नित्य शंकर रूपी गुरु की वन्दना करते है जिनके आश्रित होने पर टेढ़ा चन्द्रमा भी सर्वत्र वन्दित होता है

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻 "भवानी शंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रूपिणौ। 
याभ्यां बिना न पश्यन्ति सिद्धा स्वान्तः स्थमीश्वरम।।
वन्दे बोधमयं नित्यं गुरुं शंकर रूपिणम ।
यमाश्रितो हि वक्रोअपि चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते।।"🌻
🌻प्रार्थना--
🌻"हम सब परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज
(श्री भवानी शंकर जी महाराज) की वन्दना करते है जो श्रद्धा और विश्वास के स्वरूप है।जिनकी कृपा के बिना अपने अन्तःकरण में स्थित ईश्वर को नही देखा जा सकता।ज्ञानमय नित्य शंकर रूपी गुरु की वन्दना करते है जिनके आश्रित होने पर टेढ़ा चन्द्रमा भी सर्वत्र वन्दित होता है।हे गुरुदेव आप कृपा के सागर हम सबको अपनी शरण में लीजिये।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻

Wednesday, 30 August 2017

कर्म करते हुए अपने मन को इष्टदेव में लगाते रहना ही कर्मयोग है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह साधना बताई

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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🌻"परम् पूज्य पापाजी परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज की साधना के बारे में बताते हुए कहते थे कि–
🌻 "पूज्य गुरुदेव कर्मयोग की साधना पर विशेष महत्व देते थे।"कर्म करते हुए अपने मन को इष्टदेव में लगाते रहना ही कर्मयोग है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह साधना बताई।
गुरु द्वारा इस साधना का अभ्यास करते रहने से व् गुरु कृपा से मन नियंत्रित होने लगता है।मन बहिर्मुखी से अंतर्मुखी होने लगता है।
गुरु का इष्ट ही सर्वोत्तम इष्ट है।गुरु प्रकाश पुंज है।उनका ध्यान करने से आत्म प्रकाश जाग्रत होने लगता है तथा साधक अपने निज स्वरूप को पहचान कर उसी में स्थित रहने लगता है।🌻"
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻