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Thursday, 12 April 2018

एक सत्संगी भाई ने सवाल किया कि जहां कांटेक्ट (contact) है वहां कॉन्ट्रैक्ट (contract)भी है

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*🌷*🌷*🌷*🌻
🌻"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के 
🌻"दिव्य वचनो की श्रृंखला की –
🌻"अगली प्रस्तुति"🌻
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🌻"एक सत्संगी भाई ने सवाल किया कि जहां कांटेक्ट (contact) है वहां कॉन्ट्रैक्ट (contract)भी है और जहां कॉन्ट्रैक्ट (contract) है वहां कांटेक्ट (contact)भी है।
फरमाया कि कॉन्ट्रैक्ट (contract) का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता ,इसको तो हटा देना चाहिए।
फिर सत्संगी भाई ने कहा कि संस्कार का शब्द वहां हो सकता है ।
फरमाया कि संस्कार का पता बात पुरुषार्थ के चलता है। इसके पहले पता नहीं चलता है क्योंकि जब कोई बात पूरा पुरुषार्थ करने के बाद होती है, तब लोग कहते हैं कि यह सब संस्कार का फल है या यह मेरे पूर्व जन्मों का फल है।
इससे पहले कोई भी नहीं कहता कि यह हमारे पूर्व जन्मों का फल है। जब कोई बात हो जाती है इसी के बाद तो आप कह सकेंगे कि यह हमारे संस्कार का फल है।"🌻 (क्रमशः)
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
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