






















पूज्य गुरुदेव ने कहा कि -
ड्यूटी में इखलाख के डर का कोई सवाल नहीं है।
आपको पूरी शक्ति से ड्यूटी या सेवा करना चाहिए। क्योंकि अगर आप यथाशक्ति सेवा करते हैं तो आप का दिल खुद गवाही देगा कि मैंने कोई बात इस की सेवा करने में उठा नहीं रखी।
अब दुनिया चाहे इसको अच्छा कहो या बुरा कहे, इससे हमको मतलब नहीं है ।
हमको तो यह देखना है कि हमने कोई कसर तो उसकी सेवा में नहीं छोड़ी ।अगरआप सेवा में कमी करते हैं तो आपका अंतकरण आपको गवाही देगा कि तुमने उसकी सेवा में कमी की ,और जो लोग सुनेंगे ,समझेंगे,वह लोग भी इसी नतीजे पर आएंगे कि वाकई आपने इसमें कमी की।
दुनिया में सब लोगों को ना तो आप खुश रखते हैं ना सब लोग आपसे नाराज ही रहेंगे। यह जरूर है कुछ आपकी तारीफ करें कुछ बुराई करें। मगर हमको इस से कोई मतलब नहीं हमारे बारे में लोग क्या कहेंगे।
जो हमारी ड्यूटी है उसमें हमको कोई कसर नही रखना चाहिए और यथाशक्ति उसमे लगे रहना चाहिए ताकि अपने दिल में कोई बात इस किस्म की न रह जाये कि सेवा में हमसे यह कमी हो गई थी।"
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अब दुनिया चाहे इसको अच्छा कहो या बुरा कहे, इससे हमको मतलब नहीं है ।
हमको तो यह देखना है कि हमने कोई कसर तो उसकी सेवा में नहीं छोड़ी ।अगरआप सेवा में कमी करते हैं तो आपका अंतकरण आपको गवाही देगा कि तुमने उसकी सेवा में कमी की ,और जो लोग सुनेंगे ,समझेंगे,वह लोग भी इसी नतीजे पर आएंगे कि वाकई आपने इसमें कमी की।
दुनिया में सब लोगों को ना तो आप खुश रखते हैं ना सब लोग आपसे नाराज ही रहेंगे। यह जरूर है कुछ आपकी तारीफ करें कुछ बुराई करें। मगर हमको इस से कोई मतलब नहीं हमारे बारे में लोग क्या कहेंगे।
जो हमारी ड्यूटी है उसमें हमको कोई कसर नही रखना चाहिए और यथाशक्ति उसमे लगे रहना चाहिए ताकि अपने दिल में कोई बात इस किस्म की न रह जाये कि सेवा में हमसे यह कमी हो गई थी।"




















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