





















किसी आदमी की संस्कार वश कोई हालत एक महीने तक वैसी ही बनी रहने को है ।मगर किसी महापुरुष की कृपा और दया से दो रोज ऐसी हालत रहने के बाद बिल्कुल गायब हो जाती है तो फिर 28 दिन तक वह हालत कहां रही और उसको फिर उस हालत का भान होगा या नहीं ।
फरमाया कि यह सवाल बहुत अच्छा है अगर किसी महापुरुष की कृपा से ऐसा हो जाता है तो उसकी दो शक्ल हैं ।यानि ऐसे संत और महापुरुष दो प्रकार के होते हैं।
एक तो ऐसे होते हैं जिन्होंने दूसरों के अवगुणों को निकाल कर बाहर फेंक दिया और उनको इस से मतलब नहीं कि वह कहां गया और उसका क्या हुआ।
जिस वक्त उन्होंने उसको निकालकर बाहर फेंका वह सारे ब्रह्मांड में मिल गया और उसका थोड़ा बहुत अंश हर साधु और संत के पास पहुंचा।
अब दूसरे किस्म के जो सन्त लोग होते हैं वह यह करते है कि उन्होंने दूसरे के अवगुण या परेशानी को या बीमारी को अपने ऊपर ले लिया और जब तक उसका समय है उसी तरह से उसको भोगा जिस तरह से वह आदमी जिससे उन्होंने लिया है भोगता और समय आने पर उसको इतना साफ करके निकाल दिया कि फिर उसका कोई अंश बाकी न रहे।"




















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