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Monday, 9 April 2018

प्रार्थना में सिर्फ भाव होना चाहिए और भाव उस वक्त पैदा हो सकता है जब हम उस आदमी के गुणों की तरफ देखें

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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🌻"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज ने 14 दिसम्बर,1940 में शाम को सत्संग के होने के पहले बताया कि–
🌻"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के 
🌻"दिव्य वचनो की श्रृंखला की –
🌻"अगली प्रस्तुति"🌻
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🌻"पूज्य चच्चा जी ने कहा कि–
🌻" प्रार्थना एक बड़ी चीज है। अगर यह ठीक तरह से की जाए यानी अगर कनेक्शन ठीक ठीक लग गया है तो उससे बड़ी जल्दी फायदा, उस आदमी को जिसके वास्ते यह की जाती है, और उसको जो करता है, दोनों को होता है ।
प्रार्थना में सिर्फ भाव होना चाहिए और भाव उस वक्त पैदा हो सकता है जब हम उस आदमी के गुणों की तरफ देखें जिसके वास्ते प्रार्थना करना है।
जब हम उसके गुणों की तरफ देखते हैं तो नेचुरल उसकी तरफ से कुछ प्रेम की लहर दौड़ती है और उस हालत में प्रार्थना अपना पूरा काम करती है।
और प्रार्थना उस वक्त तक करना चाहिए जब तक उसकी याददाश्त हो, जब उसकी याददाश्त गायब हो जावे तो फिर अगर प्रार्थना ना की जाए तो कोई हर्ज की बात नहीं है।
अगर इस तरह से प्रार्थना नहीं की जाती तो उससे कोई फायदा नहीं हो सकता ।
फिर फरमाया कि हम को दूसरों के गुणों की तरफ देखना चाहिए।"🌻...............(क्रमशः)
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
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