Like on FB

Wednesday, 25 April 2018

राजा ने अपने राज्य में इस बात की मुनादी करा दी कि मेरे राज्य में अब कोई घोड़ा अश्वमेध यज्ञ का ना आए।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*🌷*🌷*🌷*🌻
🌻"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के 
🌻"दिव्य वचनो की श्रृंखला की –
🌻"अगली प्रस्तुति"🌻
🌻––––––––🌻
🌻"पूज्य चच्चा जी ने आगे कहानी सुनाते हुए कहा कि–
🌻" राजा यह सब बातें सुनकर के अपने महल में आया और विचारने लगा ।इसके उसके बाद उसने यह तय किया कि मैं अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा ही अपने राज में ना आने दूं तो सब ठीक हो जाएगा ।और भावी का कोई असर ना होगा ।
राजा ने अपने राज्य में इस बात की मुनादी करा दी कि मेरे राज्य में अब कोई घोड़ा अश्वमेध यज्ञ का ना आए। 
जब इस तरह की मुनादी राज में कराई गई तो राजा के पास तमाम लोगों की शिकायत आई कि आपको ऐसा करना शोभा नहीं देता ।
राजा ने कोई परवाह नहीं की। मगर जब रानी को मालूम हुआ तो उसने राजा से कहा यह आप ने क्या किया।आपको ऐसा ना करना चाहिए। 
राजा ने कहा अच्छी बात है घोड़ा राज्य में आया करे पर मैं उस पर सवारी नहीं करूंगा। एक दिन महाराज अपने महल से निकल रहे थे दरवाजे पर एक ब्राह्मण अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा लिए खड़ा था। उसने महाराज से कहा महाराज घोड़ा आपके लायक है ।वाकई में घोड़ा बड़ा अच्छा और सुंदर था। महाराज ने इसको खरीद लिया और अपने दिल में ख्याल किया इस पर सवारी ना करूंगा। 
कुछ समय बाद शाम को महाराज टहल रहे थे। साइस घोड़े को पानी पिलाके लौट रहा था ।घोड़े ने महाराज को देखा तो वह हिनहिनाया और महाराज का जी उस पर सवारी करने को आया। राजा ने सोचा इस पर सवार होकर यही घूमूंगा पर घोड़ा दक्षिण दिशा की तरफ दौड़ा और काफी दूर निकल गया और वहां पर एक सरोवर के पास रुका ।वहां बहुत सुंदर अप्सरा को राजा ने देखा। वह अप्सरा इस बात पर राजा के साथ चलने को तैयार हुई कि आप मुझसे शादी कर ले राजा ने सोचा कि ठीक है मैं शादी कर लूंगा किंतु मन में सोचा अब मैं अश्वमेध यज्ञ नहीं करूंगा।"🌻(क्रमशः)
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

No comments:

Post a Comment