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Saturday, 21 April 2018

पहले तरीके से उस संस्कार का भोग नहीं हुआ और वह समय पाकर फिर भी आ सकता है ।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*🌷*🌷*🌷*🌻
🌻"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के 
🌻"दिव्य वचनो की श्रृंखला की –
🌻"अगली प्रस्तुति"🌻
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🌻"पूज्य चच्चा जी ने आगे बताया कि–
🌻"इस किस्म के लोग दुनिया में बहुत कम होते हैं और पहली किस्म के लोग बहुत ज्यादा होते हैं ।
अब इस में फर्क इतना रहता है कि पहले तरीके से उस संस्कार का भोग नहीं हुआ और वह समय पाकर फिर भी आ सकता है ।
और जो दूसरा तरीका है उसमें संस्कार का भोग हो जाता है और फिर उसके वापस आने का कोई सवाल नहीं रहता है ।
क्योंकि संस्कार जब तक भोगे न जाएंगे तब तक पूरे ना होंगे।
वाकई जो संत हैं वह संस्कार को भुगता देते हैं। उसके साथ-साथ वह उसमें बर्दाश्त की ताकत देते जाते हैं। जिससे कि उस भोगने वाले को कोई परेशानी नहीं होती है और वह उसका उसको आसानी से भोग लेता है।"🌻 (क्रमशः)
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
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