Like on FB

Saturday, 14 April 2018

जब हम भक्ति मार्ग पर चल रहे हैं तो फिर हमको इकलाख वगैरह से क्या मतलब

🌻🌻🌻🌻🌻🌻
🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*🌷*🌷*🌷*🌻
🌻"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के 
🌻"दिव्य वचनो की श्रृंखला की –
🌻"अगली प्रस्तुति"🌻
🌻––––––––🌻
🌻"पूज्य चच्चा जी ने आगे कहा कि–
🌻"जब हम भक्ति मार्ग पर चल रहे हैं तो फिर हमको इकलाख वगैरह से क्या मतलब ।हम को तो तामील हुक्म से मतलब है,।
क्योंकि जब हम एक के हो गए तो इसका यह मतलब है कि जिसके हम हो गए हैं उसने अपने ऊपर अच्छे और बुरे सब काम की जिम्मेदारी ले ली है।
हम से कोई मतलब नहीं रहा और ना हम को उसकी तरफ देखना चाहिए ।हमारा काम तो सिर्फ तामील हुक्म का है ।
अब उसका क्या फल होगा और लोग उसको अच्छा कहेंगे या बुरा उसकी जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं है।
उसको तो वही समझ सकता है जिसने हमको हुक्म दिया है और इसकी जिम्मेदारी उसी की है हम तो इससे अलग हैं ।
मान लीजिए कि उसकी खुशी इसी में है कि हम बदनाम हो, लोगों के सामने जलील हो ,और वह हमको उसी हालत में देखना पसंद करता है तो यह उसकी मर्जी है।
और हम भी उस के वास्ते बिल्कुल तैयार हैं जैसा कि कहा है कि-
" राजी हैं हम उसी में जिसमें तेरी रजा है,
यहां यूं ही वाह वाह है और यूं ही वाह वाह है।
यानी जिस हालत में वह हमें देखना चाहे हम उसी में खुश हैं। फिर कहा कि हम को एक के हो जाना बहुत जरूरी है बगैर इसके काम नहीं चलेगा। "🌻(क्रमशः)
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

No comments:

Post a Comment