






















अगर वाकई में बारीक निगाह से देखा जाए तो यह मालूम होगा कि वह अपनी परछाई ही है और वह अवगुण थोड़ा या ज्यादा हिस्से में हम में मौजूद है तो इसके वास्ते हमको प्रायश्चित करना चाहिए ताकि वह अवगुण हमसे दूर हो जावे वरना बड़ा मुश्किल हो जाता
है ।
जैसे अगर हम अवगुणों को देखें तो जो करंट वहां से आएगी वह हमारे अवगुणों को बराबर मजबूत करती जाएगी और कुछ अरसे के बाद बिल्कुल हम इस तरह हो जाएंगे कि फिर हमारे हटाए उनका हटना मुश्किल हो जाएगा ।
क्योंकि जो अभ्यास हम लोग करते हैं उसमें एक शक्ति पैदा होती है अगर वह अच्छी बातों में लगा दी जाए तो वह उनको मजबूत कर देगी।
और अगर बुरी बातों में लगा दी जाए तो बुरी बातें जो हमारे अंदर है उनको वह मजबूत कर देगी ।
अभ्यासी को इस बात पर काफी ध्यान रखने की जरूरत है और तभी कुछ फायदा हो सकता है वरना नहीं।"




















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