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Monday, 16 April 2018

क्योंकि अब जिस अभ्यास वगैरह को आप उनके हुक्म से करते थे उससे भी आपको अविश्वास हो गया और आप उसको एकदम छोड़ कर बैठ गए।

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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🌻"परम् पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज के 
दिव्य वचनों की श्रृंखला की प्रस्तुति-
🌻"अगली प्रस्तुति"🌻
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🌻"पूज्य चच्चा जी ने आगे कहा कि–
🌻" क्योंकि अब जिस अभ्यास वगैरह को आप उनके हुक्म से करते थे उससे भी आपको अविश्वास हो गया और आप उसको एकदम छोड़ कर बैठ गए।
इस वास्ते संसार कामो में हमें फल की इच्छा रखते हुए कोई सलाह नहीं लेना चाहिए ।
हमको तो अभ्यास की तरफ देखना चाहिए कि जो अभ्यास हम करते हैं उससे हमारा कोई नुकसान तो नहीं हो रहा है और कुछ फायदा मालूम पड़ता है या नहीं।
अगर उससे कोई नुकसान हो रहा है तो फिर हमको उसको छोड़ देना चाहिए और कोई दूसरा अभ्यास करना चाहिए ।
इसके वास्ते कहा कि ऐसा ना हो उसको भी छोड़ दिया और दूसरे की भी तलाश ना कर सके, तो यह ठीक मालूम नहीं देता। उसको उसी वक्त छोड़ना चाहिए कि जब दूसरे की तलाश कर ली हो ,ताकि वह ब्रेक ना हो जावे।
जैसा लोग कहते हैं कि नौकरी अगर तबीयत के माफिक नहीं है तो उस वक़्त उसको छोड़ दो जब दूसरी मिल जाए ।लिहाजा दूसरी नौकरी पहले से तलाश कर के रखना चाहिए ताकि सर्विस ब्रेक ना हो ।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
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