















दिव्य वचनों की श्रृंखला की प्रस्तुति-






इस वास्ते संसार कामो में हमें फल की इच्छा रखते हुए कोई सलाह नहीं लेना चाहिए ।
हमको तो अभ्यास की तरफ देखना चाहिए कि जो अभ्यास हम करते हैं उससे हमारा कोई नुकसान तो नहीं हो रहा है और कुछ फायदा मालूम पड़ता है या नहीं।
अगर उससे कोई नुकसान हो रहा है तो फिर हमको उसको छोड़ देना चाहिए और कोई दूसरा अभ्यास करना चाहिए ।
इसके वास्ते कहा कि ऐसा ना हो उसको भी छोड़ दिया और दूसरे की भी तलाश ना कर सके, तो यह ठीक मालूम नहीं देता। उसको उसी वक्त छोड़ना चाहिए कि जब दूसरे की तलाश कर ली हो ,ताकि वह ब्रेक ना हो जावे।
जैसा लोग कहते हैं कि नौकरी अगर तबीयत के माफिक नहीं है तो उस वक़्त उसको छोड़ दो जब दूसरी मिल जाए ।लिहाजा दूसरी नौकरी पहले से तलाश कर के रखना चाहिए ताकि सर्विस ब्रेक ना हो ।"




















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