






















एक राजा जनमेजय ने श्री शुकदेव जी महाराज से यह सवाल किया कि महाराज पुरुषार्थ से भावी टल सकती है या नहीं ।
इस पर शुकदेव जी महाराज ने कहा कि भावी बड़ी प्रबल होती है उसके सामने पुरुषार्थ वगैरह कोई काम नहीं कर सकता है ।इसके जरिए से उसको नहीं टाला जा सकता।
और अगर तुम समझते हो भावी टल सकती है तो मैं तुम्हे बताता हूं कि तुम छः महीने के अंदर कोढ़ी हो जाओगे। अब तुम अपना पुरुषार्थ कर लो।यही नही मैं तुमको सब बता देता हूं कि तुम किस तरह से कोढ़ी होगे।
सबसे पहले तुम्हारे राज्य में अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा बिकने आएगा तुम उसको खरीदोगे।खरीद लो तो भी कोई बात नहीं।पर उस पर सवार मत होना ।
सवार हो तो भी कोई बात नही पर दक्षिण मत जाना। अगर चले आओ तो कोई हर्ज नहीं है वहां तुम को अप्सरा मिलेगी ।उससे शादी मत करना अगर शादी कर लो तो भी कोई हर्ज नही।पर अश्वमेघ यज्ञ मत करना और अगर करो तो ब्राह्मणों को बुलाना जवान लड़कों को ना बुलाना।
इसमें भी कोई नुकसान नहीं है अगर लड़के आए तो तुम उन पर गुस्सा मत होना गुस्सा हो गए तो ब्राह्मण के लड़के तुमको शाप देंगे और तुम कोढ़ी हो जाओगे।
देखो अब मैंने तुमको सब बता दिया है। अब तुम अपना पुरुषार्थ करना ।तुमको बहुत काफी मौका है और इसके बाद मुझको बताना कि क्या नतीजा रहा।"




















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