






















इसकी इत्तला देना यह आपकी ड्यूटी में है क्योंकि जब आप किसी के हो गए तो पुत्र वगैरह सब उसके हैं जो चीज उसकी है उसके अच्छे और बुरे होने की इत्तला देना आपका काम है।
अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं कर रहे हैं ।
क्योंकि मान लीजिए कि आपने अपनी जमीदारी वगैरा के बारे में किसी को नौकर रखा और उससे कहा कि तुम इसकी देखभाल करते रहना। तो यह उस नौकर की ड्यूटी है कि वह जमीदारी के बारे में छोटी सी छोटी बात की और बड़ी से बड़ी बात कि हर किस्म की इत्तला आपको देता रहे।
अगर वह ऐसा नहीं करता तो वह अपनी ड्यूटी ठीक तरह से नहीं अदा कर रहा है। और वह सजा के काबिल है।
हां यह जरूर है कि उसको इतना हक है कि वह अपना कोई सजेशन लिख कर के आप के पास भेजें। अगर वह भेजता भी है तो उसको यह ख्याल ना कर लेना चाहिए कि मेरा सजेशन मान ही लिया जाएगा।
सजेशन का मानना या ना मानना आपके ऊपर है अगर उसमें आपका उस जायदाद का फायदा है ।आप मान सकते हैं अगर नुकसान है तो आप कभी भी मानने को तैयार नहीं होंगे ।
इसी तरह से यह आपकी भी ड्यूटी हो जाती जिस घर में या जिन लोगों की सेवा के वास्ते आप रखे गए हैं उन सब की इत्तला देना आपका काम है ।
मगर उसमें कोई सजेशन देना आपका काम नहीं है। और अगर आप दे भी दे तो आप यह मत समझिए कि वह मान ही लिया जाएगा ।
यह तो उनकी मर्जी पर है आपसे इस से कोई मतलब नहीं है अगर वह अच्छा समझेंगे उसको मान लेंगे और बुरा समझेंगे ना मानेंगे।"




















No comments:
Post a Comment