
















यदि व्यक्ति ने आत्मोत्सर्ग किया,अहंकार का हनन किया और इच्छाओ का त्याग किया तो मोक्ष का मार्ग उसके लिया सुलभ हो जायेगा।
गृहस्थ के लिए घरेलू समस्याए बाधक होती है पर उससे घबड़ाना नही चाहिए।जीवन एक संग्राम है वह पुष्प शैय्या नही,उसके लिए धैर्य एवम् सन्तोष जैसे अमोघ अस्त्र चाहिए,तथा अपने गुरुदेव में अटूट श्रद्धा एवम् विश्वास होना चाहिए, जिससे सभी समस्याये हल हो जाती है।
संघर्ष जीवन में गति प्रदान करता है अग्नि में तपने से ही सोना चमकता है।गृहस्थ के लिए वासनाए भी कम बाधक नही होती है ,पर उज्ज्वल चरित्र की पावन सुगन्ध विषय वासना की दुर्गन्ध को क्षण में मिटा देती है।
सेवाश्रम,साधना एवम् संयम की त्रिवेणी में समस्त वासनाए डूबकर पावन बन जाती है।अतः घर को पावन मन्दिर बनाने के लिए आत्म संस्कार,आत्म शुद्धि एवम् आत्मसंयम पर ध्यान दिया जाना चाहिए।"



















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