
















पूज्य चच्चा जी महाराज कहते थे कि भगवान के नाम जप के लिए जो वृद्धावस्था को श्रेष्ठ मानते है उनसे बड़ा मूर्ख और कोई नही है।कल की किसे खबर है कि क्या होने वाला है।
अतः आज और अभी से हमे भगवदाश्रय ग्रहण कर नाम जप आरम्भ कर देना चाहिये।यही इस मनुष्य शरीर का परम् लक्ष्य है।
मनुष्य शरीर विशेष प्रयोजन की सिद्धि के लिए ही किया गया गया है और वह विशेष प्रयोजन है केवल भगवदाश्रय ग्रहणकर निरन्तर भगवदनाम् जप में तल्लीन रहना।
पूज्य चच्चा जी नाम जप में भी वे प्रांशु जप को अधिक महत्व देते थे अर्थात जो जप निरन्तर चलता रहता है।नाम जप से बड़ी बड़ी बाधाये समाप्त हो जाती है।"


करहुँ विचार सुजन मन माही।"



















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