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Friday, 2 June 2017

मनुष्य शरीर साधना का केंद्र है,इसी से भगवान की आराधना करके प्राणी अति दुर्लभ मोक्षपद को प्राप्त कर सकता है

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"परम् पूज्य पापाजी कहा करते थे कि–

🌻"मनुष्य शरीर साधना का केंद्र है,इसी से भगवान की आराधना करके प्राणी अति दुर्लभ मोक्षपद को प्राप्त कर सकता है।
पूज्य चच्चा जी महाराज कहते थे कि भगवान के नाम जप के लिए जो वृद्धावस्था को श्रेष्ठ मानते है उनसे बड़ा मूर्ख और कोई नही है।कल की किसे खबर है कि क्या होने वाला है।

अतः आज और अभी से हमे भगवदाश्रय ग्रहण कर नाम जप आरम्भ कर देना चाहिये।यही इस मनुष्य शरीर का परम् लक्ष्य है।
मनुष्य शरीर विशेष प्रयोजन की सिद्धि के लिए ही किया गया गया है और वह विशेष प्रयोजन है केवल भगवदाश्रय ग्रहणकर निरन्तर भगवदनाम् जप में तल्लीन रहना।

पूज्य चच्चा जी नाम जप में भी वे प्रांशु जप को अधिक महत्व देते थे अर्थात जो जप निरन्तर चलता रहता है।नाम जप से बड़ी बड़ी बाधाये समाप्त हो जाती है।"

🌻"जैसा कि रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने कहा है–
🌻"नाम लेत भव सिंधु सुखाई।
करहुँ विचार सुजन मन माही।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻

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