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Saturday, 3 June 2017

आत्मिक एवम् आध्यात्मिक प्रगति की साधनाओ में ध्यान को प्रधानता दी गयी है

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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
🌻*-🌷-🌷-🌷-*🌻
🌻"परम् पूज्य पापाजी ने 'ध्यानके महत्व' पर बताते हुए कहा कि–

🌻"आत्मिक एवम् आध्यात्मिक प्रगति की साधनाओ में ध्यान को प्रधानता दी गयी है।ध्यान से मन को एकाग्रता प्राप्त होती है और मनोयोग पूर्वक गम्भीर चिंतन का अभ्यास होता है ,ध्यान से आसक्ति मिटती है निरन्तर विचार परिमार्जित होते रहते है।
सभी धर्म कही किसी एक स्थान पर आकर मिलते है तो वह ध्यान है।ध्यान से हम अपने चित्त के कुसंस्कारो को निकालते है।हमारे मन में यह विश्वास होना चाहिए कि हमारा अन्तर्मन हमारे गुरु में समर्पित है।हमारा कुछ भी नही है जब यह भाव आने लगेगा तो द्वेष,अहम,आसक्ति,तृष्णा का जो आवरण हमारे ऊपर चढ़ा हुआ है वह उतरने लगेगा।

साधक को यह एहसास होने लगेगा कि साक्षात् सद्गुरु ही उसके अंदर विराजमान हो रहे है।यह ध्यान करते करते साधक समर्पण भाव द्वारा पवित्र बनता चला जाता है साथ ही उसका मन उसके गुरुदेव में स्थिर हो जाता है।"🌻
🌻*🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।🌷*🌻
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻(क्रमशः)🌻🌻🌻🌻🌻

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