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🌻***~ॐ~***
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🌻*श्री गुरुवे नमः*
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🌻"परम्
पूज्य गुरुदेव श्री चच्चा जी महाराज की महिमा का वर्णन करते हुए उनके एक
अनन्य भक्त श्री काशी प्रसाद जी लख़नऊ,जो पूज्य गुरुदेव में पूर्ण रूप से
समर्पित है ,ने बड़े भाव प्रेम से बहुत से पदों की रचना की।
उन्ही में से एक 'पद'आज पुनः आप सबके समक्ष प्रस्तुत है--
🌻"गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार,
नाथ तेरे कोटि कोटि उपकार।
लाखो मुख भी कर न सकेंगे,
तेरा यश-उच्चार।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार...............
जन्म जन्म के पापो को तू,
क्षण में करता क्षार।
उऋण कभी भी हो न सकेगा,
यह सारा संसार।।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार...............
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जैसे ,
कर न सके जो कार।
तेरी कृपा दृष्टि से क्षण में ,
अधम हुए भव पार।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार.............
तेरी ज्योति सकल उर व्यापे,
व्योम भूमि जलधार।
ऐसा रूप दिखाओ प्रभुवर,
होवे बेडा पार।।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार..............
सकल विश्व है तेरे उर में,
तेरे नैन हजार।
तेरा खेल जगत है सारा,
कभी न हुई तेरी हार।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार............
ऐसी प्रीति भरो अब उर मे,
गुरुवर भरतार।
तन मन धन सब अर्पण करके,
करें जीव उद्धार।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार............
हम भूले तेरी माया में,
जो है सब निःसार।
कृपा करो सब पर हे गुरुवर,
समदर्शी अवतार।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार।"
🌻
🌻*
🌷परम् पूज्य गुरुदेव सब पर कृपा करे।
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🌻/(क्रमशः)
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उन्ही में से एक 'पद'आज पुनः आप सबके समक्ष प्रस्तुत है--

नाथ तेरे कोटि कोटि उपकार।
लाखो मुख भी कर न सकेंगे,
तेरा यश-उच्चार।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार...............
जन्म जन्म के पापो को तू,
क्षण में करता क्षार।
उऋण कभी भी हो न सकेगा,
यह सारा संसार।।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार...............
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जैसे ,
कर न सके जो कार।
तेरी कृपा दृष्टि से क्षण में ,
अधम हुए भव पार।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार.............
तेरी ज्योति सकल उर व्यापे,
व्योम भूमि जलधार।
ऐसा रूप दिखाओ प्रभुवर,
होवे बेडा पार।।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार..............
सकल विश्व है तेरे उर में,
तेरे नैन हजार।
तेरा खेल जगत है सारा,
कभी न हुई तेरी हार।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार............
ऐसी प्रीति भरो अब उर मे,
गुरुवर भरतार।
तन मन धन सब अर्पण करके,
करें जीव उद्धार।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार............
हम भूले तेरी माया में,
जो है सब निःसार।
कृपा करो सब पर हे गुरुवर,
समदर्शी अवतार।
गुरु तेरे कोटि कोटि उपकार।"


















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