"अनमोल वचन" - चच्चाजी महाराज
- ईमानदारी के साथ परिश्रम करने का फल अंतः करण को स्वतः ही प्राप्त होता रहता है ।
- यदि आप छोटी - छोटी बातों से आहत हो जाते हैं, तो आपका मन अभी भी बहुत छोटा है । महान और ऊँचे लोग इन रोजमर्रा की बातों से कभी विचलित नहीं होते ।
- मन से दुखों का चिंतन न करना ही दुःख निवारण की अचूक दवा है।
- यथार्थ कर्त्तव्य पालन वह है जिससे न आपका मन दुखी व दूषित हो और न दूसरों का ।
- पूजा का यह असर होना चाहिये की जिसके साथ जैसा व्यवहार करने की ज़रुरत है, वैसा व्यवहार आपसे आप अदा होता जावे ।
- परिवार वालों से प्रेम करना ईश्वरीय प्रेम करने का सरल व सुगम साधन है ।
- शरीर की बाह्म तथा आंतरिक पवित्रता तथा उन्नति का आधार सत्संग ही है ।
- हम सब संसार को ईश्वरमय देखे और हम दस होकर सबकी सेवा करें, इसी को भक्ति कहते हैं ।
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