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Thursday, 21 January 2016

"अनमोल वचन" - चच्चाजी महाराज


  • ईमानदारी के साथ परिश्रम करने का फल अंतः करण को स्वतः ही प्राप्त होता रहता है । 

  • यदि आप छोटी - छोटी बातों से आहत हो जाते हैं, तो आपका मन अभी भी बहुत छोटा है । महान और ऊँचे लोग इन रोजमर्रा की बातों से कभी विचलित नहीं होते । 

  • मन से दुखों का चिंतन न करना ही दुःख निवारण की अचूक दवा है।  
  • यथार्थ कर्त्तव्य पालन वह है जिससे न आपका मन दुखी व दूषित हो और न दूसरों का । 

  • पूजा का यह असर होना चाहिये की जिसके साथ जैसा व्यवहार करने की ज़रुरत है, वैसा व्यवहार आपसे आप अदा होता जावे । 

  • परिवार वालों से प्रेम करना ईश्वरीय प्रेम करने का सरल व सुगम साधन है । 

  • शरीर की बाह्म तथा आंतरिक पवित्रता तथा उन्नति का आधार सत्संग ही है । 

  • हम सब संसार को ईश्वरमय देखे और हम दस होकर सबकी सेवा करें, इसी को भक्ति कहते हैं । 


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