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Wednesday, 27 January 2016

मातेश्वरी राधा - चच्चाजी महाराज की अमृतवाणी ।

 
  • जो मनुष्य किसी भी प्राणी का अनिष्ट चिंतन नहीं करता और अपने से शत्रु भाव रखने वालों की उन्नति पर भी प्रसन्न होता है, वही सदाचारी तथा श्री भगवान का सच्चा भक्त है । 
 
  • सदाचार भेदभाव और पक्षपात को छोड़कर सेवा करने की शिक्षा देता है। सदाचार सामाजिक जीवन की कुंजी है ।          
        
  • निर्दोष तथा पवित्र जीवन ही सच्ची शांति है जिसकी प्राप्ति आत्म संयम तथा श्री भगवन की भक्ति से ही प्राप्त होती है ।  
 
  • निष्काम प्रेमभाव से बिना किसी भेदभाव व पक्षपात की प्रत्येक प्राणी की सेवा करना साक्षात ईश्वर की सेवा करना है । 

  • समय को अमूल्य समझकर प्रत्येक श्वांश को भावसहित श्री भगवान के स्मरण तथा ध्यान में लगाये रहने का अभ्यास तथा साधन करने से मनुष्य को सदाचार की प्राप्ति होकर यथार्थ कर्तव्य पालन तथा सेवा करने की शक्ति प्राप्त होती है । 



 

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