गुरु कोई व्यक्ति नहीं,
कोई शरीर नहीं,
गुरु एक तत्व है , एक शक्ति है ।
गुरु यदि शरीर होता,
तो इस छोटी सी दुनिया में,
एक ही गुरु पर्याप्त होता ।
गुरु एक भाव है,
गुरु श्रद्धा है । गुरु समर्पण है ।
आपका गुरु आपके
व्यक्तित्व का परिचय है ।
कब कौन, कैसे आपके लिये
गुरु साबित हो,
यह आप की दृष्टि एवं मनोभाव पर
निर्भर करता है ।
गुरु प्रार्थना से मिलता है ।
गुरु समर्पण से मिलता है,
गुरु दृष्टा भाव से मिलता है,
गुरु किस्मत से मिलता है ।
और
गुरु किस्मत वालों को मिलता है ।
No comments:
Post a Comment