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Wednesday, 28 September 2016

(भाग ५८/१२४) - "कर्त्तव्य पालन अवं सदाचार"


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🌻***~ॐ~***🌻
🌻*श्री गुरुवे नमः*🌻
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५८/१२४ सत्संग से बढ़कर मनुष्य के कल्याण के लिए और कोई उत्तम वास्तु नहीं है । सत्संग से ज्ञान होने पर माया  दुखदायी के बदले सुखदाई हो जाती है । भगवान् के भक्त माया के अधीन नहीं होते , किन्तु माया स्वयं उनके सामने सेवा करने के लिए हाथ जोड़े खड़ी रहती है । परंतु श्री भगवान् के भक्तों को उसकी ओर देखने का अवकाश ही नहीं । 

- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई । 

🌻*🌷*पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
🌻🌻🌻 ॐ शांति शांति शांति।
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