***~ॐ~***
*श्री गुरुवे नमः*
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५८/१२४ - सत्संग से बढ़कर मनुष्य के कल्याण के लिए और कोई उत्तम वास्तु नहीं है । सत्संग से ज्ञान होने पर माया दुखदायी के बदले सुखदाई हो जाती है । भगवान् के भक्त माया के अधीन नहीं होते , किन्तु माया स्वयं उनके सामने सेवा करने के लिए हाथ जोड़े खड़ी रहती है । परंतु श्री भगवान् के भक्तों को उसकी ओर देखने का अवकाश ही नहीं ।
- समर्थ सद्गुरु श्री श्री भवानी शंकर जी महाराज (पूज्य चच्चा जी), उरई ।
पूज्य गुरुदेव हम सब पर कृपा करे।
ॐ शांति शांति शांति।
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